पत्ता-पत्ता रस से भींजे...
पत्ता-पत्ता रस से भींजे, जब अमियाँ बौराती हैं,
दिल के तार खनकते हैं जब, वो बगिया में आती हैं।
सबा नशीली होती है और, शब की नींदें जाती हैं,
तिनका-तिनका गज़ल पढे जब, वो मौसम बन आती हैं,
पत्ता पत्ता रस से भींजे......
महुए सी रस से बोझिल जब, वो आगोश मे आती हैं,
धक-धक करती दिल की धड़कन, भी संगीत सुनाती हैं,
पत्ता पत्ता रस से भींजे......
20 मई 2014 ...अजय।
पत्ता-पत्ता रस से भींजे, जब अमियाँ बौराती हैं,
दिल के तार खनकते हैं जब, वो बगिया में आती हैं।
सबा नशीली होती है और, शब की नींदें जाती हैं,
तिनका-तिनका गज़ल पढे जब, वो मौसम बन आती हैं,
पत्ता पत्ता रस से भींजे......
महुए सी रस से बोझिल जब, वो आगोश मे आती हैं,
धक-धक करती दिल की धड़कन, भी संगीत सुनाती हैं,
पत्ता पत्ता रस से भींजे......
20 मई 2014 ...अजय।