Wednesday 21 February 2018

इस होली...

इस होली...

होली के हुड़दंग का, बजा रिया हूँ शंख,
सबको गले लगाइये, भेद न राजा, रंक।

जाति धर्म मत पूछिये, यह सबका त्यौहार,
मिल-जुल साथ दिखाइये, भारत का आचार।

ऐसे रंग बिखेरिये, मिट जायें सब पीर,
एक रंग भारत रंगे, केरल से कश्मीर।

मिल कर खायें हम सभी, गुझिया और नमकीन,
चाहे जितनी मिर्च चखें, पाकिस्तां और चीन।

है मिठास सबमें वही, गुझिया, सेंवई, खीर,
जानि लेहुं इस बात को, मुल्ला पंडित पीर।

खायेंगे सब अन्न ही, पशु आदम या अन्य,
जिस दिन हम यह मान लें, धरती होगी धन्य। 

कर्ज धरा का मानिये, भारत-भूमि महान,
स्वर्ग है इसको मानिये, मत कीजै अपमान।

कर्म न ऐसा हो कोई, लगे दाग स्वभिमान,
हों विचार यदि भिन्न भी, वाणी में हो मान।
21/02/2018.                      ~~~अजय।

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