Monday 5 February 2018

दाँत का दर्द

दाँत का दर्द ...

यूँ तो हर दर्द एक ही सा है, 
मगर दाँत का दर्द बड़ा अजीब सा है।

रह रह के तेज़ टीस सी उभरती है,
जो दाढ़ से कनपटी तक गुजरती है।

पानी की बूँद तक कहर ढाने लगती है,
गर्म चाय की घूँट जैसे जहर माने लगती है।

रोगी तब सुख चैन सब खो देता है, 
बड़े से बड़ा बहादुर जबड़ा थाम के रो देता है।

भूल जाता आदमी ख़ुशियाँ भरी किलकारियाँ,
उठने लगती हैं सतत् जब दर्द की सिसकारियाँ।

है प्रार्थना कर जोड़ कर,  रखना भरम इस बात का,
हे ईश देना कुछ भी पर, मत दर्द देना दाँत का,
05फरवरी2018.                  ~~~ अजय।

1 comment:

  1. Well composed... toothache makes you so helpless n weak...

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