Saturday 18 February 2017

जबसे उसने....

जबसे उसने...

दर्द उसका भी तो हमसाया है,
जब से उसने हमें, भुलाया है।

जुबां खुलकर करे, न करे ये बयां
क़िस्सा चश्मे-नम ने, सुनाया है।

बस में उनके भी न था कि जो, ख़ुद निभ जाता,
टूटे वादे ने ये, जताया है।

नैन कब तक मिला के रखते वो,
शबाबे-हुस्न ने जिनको, यूं झुकाया है।

उदासियों में भी नूरे-लबरेज़ रहा करता था,
चेहरा वो आज क्यों, मुरझाया है।

रंज हमको नहीं उनसे, न कोई शिकवा है,
यादों ने जिसे हर साँस में, समाया है।

09 फरवरी 17.                   ~~~अजय।

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