Thursday 27 March 2014

मुझे दीदार चाहिए...

मुझे दीदार चाहिए ...

ऐ यार, मुझे यार का दीदार चाहिए,
बहती हवा में, बस जरा सा प्यार चाहिए। 

कहने को दोस्तों की भीड़........चैन नहीं है,
जो दिल को दे सुकून, वो संसार चाहिए।

गुलशन तो है गुलज़ार ये, दुनिया के गुलों से,
वो गुल जो छेड़ जाये, दिल के तार, चाहिए।

सुलगा गयीं अगन, कुछ बरसात की बूंदें,
शीतल करे वो, सावनी बौछार चाहिए।

ऐ यार, मुझे यार का दीदार चाहिए,
बहती हवा में, बस जरा सा प्यार चाहिए।

जगमग तमाम अजनबी चेहरों से ये शहर,
हमको हमारे गाँव का बाज़ार चाहिए।

सप्ताह का हर दिन तो भागम-भाग में काटा,
हम सबको पुरसुकून एक इतवार चाहिए।

18 अगस्त 2013                                        ...अजय 

Wednesday 5 March 2014

दाम्पत्य...

दाम्पत्य......

मैं उनसे लड़ी थी, वो मुझसे लड़े थे,

अपनी मनाने पर दोनों अड़े थे ...

कनखियों से जो देखा छुप छुप कर दोनों ने,

"मैं" लघु हो गया... और हम दोनों बड़े थे।


05 मार्च 2014                              ...अजय 

सम्हल के रहना ऐ चाँद

सम्हल के रहना ऐ चाँद ज़रा 

चटोरियों कि नज़र, चटक स्वाद पर है,
बिल्लियों की नज़र, चूहों की माँद पर है,
उन्मादियों की नज़र, बढ़ते उन्माद पर है,
सम्हल के रहना ऐ चाँद जरा… 
चकोरों की नज़र तो…  बस चाँद पर है।  

खबरनवीसों की नज़र, चटखारे विवाद पर है,
किसानों की नज़र, कृत्रिम खाद पर है,
पुजारी की नज़र, चढ़ रहे प्रसाद पर है,
सम्हल के रहना ऐ चाँद जरा…
चकोरों कि नज़र तो…  बस चाँद पर है।

आरक्षण की नज़र, जातिवाद पर है,
असमाजियों की नज़र, समाजवाद पर है,
आतंकियों की नज़र आतंकवाद पर है,
सम्हल के रहना ऐ चाँद जरा…
चकोरों कि नज़र तो…  बस चाँद पर है।

 04 मार्च 2014                                         ...अजय