Monday 21 July 2014

बरसेला बदरा बेजार...

बरसेला बदरा बेजार...
(भोजपूरी रचना )

चुए लागल, छन्हीया से पानी .....सइयाँ कहाँ बानी,
बरसेला....... बदरा बेजार .........रऊआं कहाँ बानी।

जेठ भरि हमरा के,... घामवाँ तपवलीं,सइयाँ कहाँ बानी,
आसढ़ा में ...दिहलीं बिसार,......रऊआं कहाँ बानी। 

केतने महीनवाँ से,.... आसरा सजवलीं,सइयाँ कहाँ बानी,
परे लागल,...सावन के फुहार,......रऊआं कहाँ बानी।


देखा-देखी भूखे लगलीं,....करवा-चऊथिया, सइयाँ कहाँ बानी,
कब होई पारन हमार, रऊआं कहाँ बानी।

साथे के सहेलिया हमरी भईलीं लरिकोरिया, सइयाँ कहाँ बानी,
कब सजी,... गोदिया हमार,......रऊआं कहाँ बानी। 

चुए लागल, छन्हीया से पानी .....सइयाँ कहाँ बानी,
बरसेला....... बदरा बेजार .........रऊआं कहाँ बानी।


20 जुलाई 14                                        ...अजय। 

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