Tuesday 24 June 2014

आदाब अर्ज़ है...

आदाब अर्ज़ है...

भाई साहब, आदाब अर्ज है ...
बहन जी, आदाब अर्ज़ है...

अरे! ये क्या? सारा का सारा ठीकरा,
औरों के सर ही फोड़ आओगे क्या ?
या फिर, थोड़ी बहुत जिम्मेवारियाँ,
आप अपने सर भी उठाओगे क्या ?
आपका भी अपना, कुछ  तो फ़र्ज़ है.....
...भाई साहब, बहन जी..........आदाब अर्ज़ है।

भाई साहब, आदाब अर्ज है ...
बहन जी, आदाब अर्ज़ है...
अरे रे रे रे रे! ...जरा सम्हल कर बेटे,
बाइक पर निकले, तो हेलमेट ले लेते,
खैर, इसे आराम से चलाओ तो भी चलेगी,
अपनी कमर न डुलाओ, तो भी ये हिलेगी,
सेफ़्टी से  चलने मे क्या हर्ज है ?
 ...भाई साहब, बहन जी..........आदाब अर्ज़ है।

भाई साहब, आदाब अर्ज है ...
बहन जी, आदाब अर्ज़ है...
आज चुनाव का दिन है, आप वोट तो देंगे?
मज़हबी,जातवाले को? या बहते नोट को देंगे?
पड़ोसी गाँव का वो छोकरा, मशहूर नहीं है...
कमजोर है, गुंडा नहीं, मगरूर नहीं है,
नेताजी को ही आप से कल, कौन गर्ज है?
...भाई साहब, बहन जी..........आदाब अर्ज़ है।

भाई साहब, आदाब अर्ज है ...
बहन जी, आदाब अर्ज़ है...
उनके घर मे यदि हुई तो ये महामारी है,
नज़ला भी अगर हो तो अँग्रेजी बीमारी है,
यहाँ वैसी बीमारी का हस्पताल नहीं है...
अगर है तो फिर 'स्विस बैंक' या पाताल में ही है,
जनता को कहाँ जानलेवा कोई मर्ज है ?
...भाई साहब, बहन जी..........आदाब अर्ज़ है।

23 जून 14                                                 ...अजय।   

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