Tuesday 24 December 2013

बनाइब हम तोहरा के ...

बनाइब हम तोहरा के गंवही से नेता...
(एक भोजपूरी रचना)

का करब जाके, सहरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के... गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के...

खा-पीय, मौज कर... मस्ती तू काट,
जेकरा के मन करे ओकरा के डाँट...
अइसन बनाव बेयरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के...गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के...

जा के सहर में तूँ दिन-रात खटब,
कबो कौनों पाठ, कबो पुस्तक तूँ रटब...
नाहिं मिली तब्बो, नोकरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के...गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के...

बनिके कलेक्टर तूँ केतना कमाइब,
नेता जो बनल त नोट से तौलइब...
भरि जाई घरवा, दुअरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के...गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के...

जो बनि जइब तूँ एस पी, कमिसनर,
जीनिगी गुजरि जाई रटि-रटि "यस सर"...
कौनो आई दे जाई, गरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के...गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के...

छोड़ मोह सहर के, गँउए से पढ़ि ल,
अगिला चुनाव तूँ विधायकी के लड़ि ल...
गाड़ी-बत्ती मिली, सरकरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के...गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के...

सी एम तूँ बनिह हम पी एम बनि जाइब,
काका के हम तोहरी, महा-महिम बनाइब...
"फर्स्ट लेडी" तोहार, महतरिया हो बेटा,
बनाइब हम तोहरा के...गंवही से नेता,
बनाइब हम तोहरा के... 

23दिसंबर १३                             ...अजय । 

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