Saturday 14 December 2013

हाँ जलता हूँ

हाँ ...जलता हूँ...

वो कहते हैं... मैं जलता हूँ , हाँ ...जलता हूँ।
जब वे बाहों मे बाहें डाले फिरते हैं,
और मैं तनहा चलता हूँ...
हाँ, ...जलता हूँ।

वे हँसते हैं, वे गाते हैं, वे सारे जश्न मनाते हैं 
सब साथ बैठ कर प्रेम से बातें करते हैं ...
मैं खाली हाथ मसलता हूँ ...
हाँ, ... जलता हूँ।

कोई खाता है , कोई पीता है,हर शख्स यहाँ पर जीता  है,
जब प्रेम के पंछी मिल, कोलाहल करते हैं,
मैं मौन के घूंट निगलता हूँ, 
हाँ जलता हूँ.....

वे तोलते हैं मैं तुलता हूँ , हर रोज तराजू चढ़ता हूँ,
जब प्रेम से वो अपनों के गले से लगते हैं,
मैं रोज स्वयं को छलता हूँ 
हाँ, ...जलता हूँ।

13 दिसंबर 2013                                      ...अजय

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