Saturday 7 September 2013

पुनर्मिलन की साँझ...

३१ अगस्त की शाम...
(पुनर्मिलन की साँझ)

आज की शाम...सज गयी, किसी दुलहिन की तरह,
बीते तीस साल,...... तीस दिन की तरह।

ऐसा लगता है, कल की बात हो ये ...
जब मिले हम थे ,...अजनबी की तरह।

दस महीनों के, ......साथ ने बांधा,
जैसे हों जेल के,........ संगी की तरह।

छूट कर आज मिल रहे हैं, गले लग-लग के
कैसे एक डाल के,...पंछिन की तरह।

जो बिछड़ गए,... वो भी जिंदा हैं,
दिलों मे आज, तिश्नगी (प्यास) की तरह।

अब न छूटेगा साथ ये,... किसी हालत मे भी,
हम तो साथी हैं ,....रात- दिन की तरह।

31 अगस्त 2013 (दिल्ली)                           ... अजय। 

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