Tuesday 5 March 2013

आख़िर दिल है

आख़िर  दिल है

दिल है ....
दिल है, तो धड़केगा
धड़केगा और फड़केगा 
फड़केगा तो ... कुछ तो हरक़त होगी 
थोड़ी उल्फत ... तो थोड़ी गफलत होगी 
उल्फत है ...तो मोहब्बत होगी 
मोहब्बत हुई तो शोहरत होगी  
शोहरत से कुछ दिल भी जलेंगे 
कुछ कसीदे पढेंगे, तो कुछ हाथ भी मलेंगे 
किसी की जुबाँ पर वो पुराने किस्से होंगे
जिन में शामिल हमारे भी कुछ हिस्से होंगे 
कभी वो मन ही मन में मुस्कुराएंगे 
जब भी ख्यालों में हम उनके आयेंगे 
ये दिल है यारों ...
कभी तो तड़पेगा, 
आखिर ... दिल है
दिल है तो धड़केगा .

५ फरवरी २०१३                                 अजय 

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