Saturday 26 January 2013

टीस भरा सन्देश  

एक दर्द झलकता है, इस सन्देश में परम 
कुछ प्रश्न कचोटते से, हो चले हैं अब अहम् 
किसकी तरफ हो आस लगाकर के देखते ?
इस मर्ज़ की दवा भी तो खोजेंगे आप हम .

सरकार कौन है ? ये जरा ध्यान कीजिये ,
अपने विचार में जरा बयान कीजिये ,
हम जैसा ही कोई है जो कुर्सी में बैठा है ,
और पाले बैठा है न जाने कौन से वहम .

बदलेगी ये तस्वीर जब सब खुद को आंक लें .
औरों की छोड़, अपने गिरेबान झाँक लें, 
भाई भतीजावाद और कुर्सी की न हो बात .
जहाँ दांव पर लगा हो मेरे देश का भरम .

26 जनवरी 2013              ....अजय 

Saturday 19 January 2013

"नापाक" इरादों वाले ....

मेरे सब्र की दीवार पर तू कंकड़ न उछाल, 

जो ढह गयी तो ढायेगी, तुझ पर बड़ा कहर.

मैं शाम की अलाव से उड़ी, चिनगारी नहीं हूँ,


मैं जलजला हूँ,... गुम जायेंगे कस्बे, कई शहर.


तू शायद भूल गया है... वो बातें... वो रोटियां,


एक थाल से खाई थीं साथ - साथ बैठ कर.


खेला किया है तू मेरे जज्बात से अब तक, 


अब भी चेत ले वरना न देखेगा तू कल सहर.


विषधर है तू, मैं जानता हूँ जन्म से तुझको ,

अब बाज आ, तू तज दे, प्रतिदिन छोड़ना जहर .

तू नाग भी हो तो मुझे परवाह कुछ नहीं ,

यहाँ वह कृष्ण है जिसने नचाया "कालिया" नथ कर

फिरा हूँ आज तक तुझको लिए गर्दन में मैं अपने ,

भुला बैठा है तू "तांडव", भुला बैठा ....कि मैं "शंकर". 

                                               ...अजय 

Thursday 3 January 2013

(दामिनी की अंतिम सदा)

अलविदा ... माँ , अलविदा 
(दामिनी की अंतिम सदा)


अब चल रही हूँ माँ ... ला, दे, ओढ़ लूँ  कफ़न 
मैं थक गई हूँ , और अब, होता  नहीं सहन 

बदन की खरोंचें तो शायद सह भी मैं जाती 

कैसे दिखाऊं मैं तुझे, टूटा हुआ ये मन 
अब चल रही हूँ माँ ... ला, दे, ओढ़ लूँ  कफ़न

वस्त्रों का आवरण मेरा, नज़रों की खातिर था 

कैसे बचा पाती, पतित नैनों से अपना तन 
अब चल रही हूँ माँ ... ला, दे, ओढ़ लूँ  कफ़न

साँसें उखड़ रहीं हैं ...अब, सुन आखिरी वचन 

पैदा न करना तू ... मेरी, अब दूसरी बहन 
अब चल रही हूँ माँ ... ला, दे, ओढ़ लूँ  कफ़न

अलविदा ..., अलविदा, ..... माँ  अलविदा ...

अब चल रही हूँ ..................................। 

Ab chal rahi hoon maa... , la, de, odh loon kafan.
Main thak gayi hoon aur ab, hota nahi sahan.

Badan ki kharonchen to shayad sah bhee main jatee,...

Kaise dikhaun main tujhe, toota hua ye man,
Ab chal rahi hoon maa... , la, de, odh loon kafan.

Vastron ka aavaran mera nazron ki khaatir tha...

Kaise bacha paatee, patit nainon se apna tan,
Ab chal rahi hoon maa... , la, de, odh loon kafan.

Saansen ukhad rahi hain... ab, sun akhiree vachan...

Paida na karna ab meri tum doosaree bahan,
Ab chal rahi hoon maa... , la, de, odh loon kafan.

Alvida...    alvida,  maa....Alvida.

Ab chal rahi hoon.................