Saturday 11 August 2012

आपकी सदा

आपकी सदा...


आपकी सदाओं ने हमें खींच लिया

किसी गर्म आगोश ने जैसे भींच लिया


पहुँच ही गए आपके दर घूमते-फिरते

 
और मन के सूखते दरख्तों को आज सींच लिया


कविताएँ,गीत,ग़ज़लें... नहीं सिर्फ बहाने हैं



इनके जरिये ही हमें मुरझाये गुल खिलाने हैं

और इनसे ही, बिछड़े दिल भी मिल जाने हैं







                                                           ....अजय 

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