Wednesday 14 September 2011

Matribhasha-Hindi (मातृभाषा "हिंदी")

मातृभाषा  "हिंदी"

दुल्हन के माथे पर शोभित, 
जैसे होती कोई बिंदी, 
भारत के माथे पर भी है,
झिलमिल करती, बिंदी हिंदी। 

"देवनागरी" से सज्जित, 
यह देवनगर की बेटी है, 
अलंकार से भरी हुई यह, 
रस, छंदों की पेटी है। 

"दिनकर", "हरिवंश", "निराला" की, 
"जयशंकर", "धनपत लाला" की,
"मैथिली", "महादेवी", "बेढब", 
लाखों की यही चहेती है। 

"सक्सेना के. पी." भी जानें,
"चौबे प्रदीप" भी हैं माने,
यह "शैल चतुर्वेदी" की बान,
हिंदी "अशोक"(चक्रधर) जी की है जान। 


हिंदी में पुष्प खिले "अनुपम",
जैसे कि  हैं "अमृत प्रीतम",
"बैरागी" ने इसको सींचा,
"शैलेश" ने है ऊपर खींचा,
यह भाषा "अटल बिहारी" की, 
उपवन सुन्दर, यह बागीचा।
"हुल्लड़" ने धूम मचाई है, 
नाटक रचते "परसाई" हैं,
हैं "रेनू फणीश्वर" कथाकार, 
"श्री लाल शुक्ल" सा व्यंगकार,
इसमें रमते "मासूम रजा", 
जिसने है "आधा गाँव" रचा। 

हमने अंग्रेजी अपनाई,
जो पार-समंदर से आई,  
उर्दू को भी तो  अपनाया, 
जो दूर मदरसों से पाया,
फिर हिंदी को क्यों छोड़ चलें,
जो माता भी, और है 'आया'।  

दैवी वरदान, जुबान है ये, 
मेहमान नहीं, घर-बारी है, 
इसका न कोई अपमान करे, 
समझो यह मातु हमारी है। 

आओ अब यह संकल्प करें,
अपना प्रयास यह अल्प करें, 
अपनी हिंदी में एक पत्र, 
लिखें और काया-कल्प करें। 

२६ जनवरी २००४                              ...अजय। 

4 comments:

  1. 'साँस की कलम से' अपनी 'कनुप्रिया' रचने वाले ,
    जीवन की मदिरा पी कर 'मधुशाला' को छकने वाले ,
    'कुरुक्षेत्र' में आने पर 'प्रणभंग' करें , 'हुँकार' करें ,
    'चित्रलेखा' औ' बीजगुप्त में प्राणों का संचार करें !

    हिंदी साहित्य ज्ञान का अथाह सागर है ! हिंदी भाषा हमारी पूज्या !
    हिंदी दिवस पर आपको बधाई ! आपकी यह कृति सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने !

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  2. प्रेरणादायी रचना... आपको सपरिवार नवरात्र की मंगलकामनाएं...

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  3. धन्यवाद एवं परिवार के सभी सदस्यों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.

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