Thursday 22 September 2011

"जीवन-पथ"

"जीवन पथ"

तुमने है एक राह चुनी 
फिर पीछे कदम हटाना क्यों ?
राह  में कुछ काँटे भी  होंगे 
काँटों से घबराना क्यों ? 

कोई ऐसा पथिक नहीं है 
जिसको हर पथ सुगम मिला हो
कोई ऐसा जीव न देखा 
जिसको कोई गम न मिला हो

बाधाएं पग-पग पर होंगी 
होना मत मायूस कभी 
मायूसी को ठोकर दोगे 
जीतोगे तुम जंग तभी 

मत स्वीकारो हार अभी से 
जीवन पथ काफी लम्बा है 
खुद को यूँ मजबूत करो जो 
लगे गड़ा लौह - खंभा है.

२१सितम्बर ११                           ...अजय 

2 comments:

  1. हौसला बढ़ाने वाली रचना.... पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...

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