Saturday 20 August 2011

Aazadee

आजादी

बापू यह कैसी आजादी 
तूँने हमको क्या दिलवा दी ...
बापू यह कैसी आजादी

पूछ रहे हैं दीन-हीन जन 
पूछ रहे हैं दुखियारे  मन 
पूछ रहे हैं बागीचे-वन 
तूँने हमको क्यों दिलवा दी ,  बापू यह ऐसी आजादी ? 

जिनको चलना आगे आगे 
वे पैसों के पीछे भागे 
टूटे नैतिकता के धागे 
घर घर में है आग लगा दी , बापू यह कैसी आजादी ? 

हक़ की बात करे हर कोई 
जिम्मेदारी नहीं है कोई 
माँ  बहनों ने अस्मत खोई 
हालत देख आत्मा रोई 
दोषी छुट्टे घूम रहे हैं ...
निर्दोषी को जेल दिला दी , बापू यह कैसी आजादी ?
शिष्य गुरु से अकड़ पड़े हैं 
भाई भाई झगड़ पड़े हैं 
पति पत्नी में रगड़ पड़े हैं 
रथ के पहिये जकड़ पड़े हैं 
जाने कैसी ग्रीस लगा दी , बापू यह कैसी आजादी ? 
तूँने हमको क्यों दिलवा दी ,  बापू यह ऐसी आजादी ?

                                                                                                   ... अजय 

6 comments:

  1. अजय जी ,अच्छा लिखा है आपने .... शुभकामनायें !

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  2. अच्छी और सटीक प्रस्तुति ..



    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  3. मार्ग दर्शन के लिए आप सब का हार्दिक धन्यवाद.

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  4. Desh jis badqismati se gujar raha hai... uska sajeev chitran... Badhaai!!! Aisi Aazaadi!?!?! Ek Yaksh prashn ban kar rah gaya ho jaise...

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  5. bahut achhee
    aur
    prabhaavshali prastutii ...

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  6. शुक्रिया आपका..उत्साहवर्धन के लिए...दानिश जी

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