Tuesday 14 June 2011

राजनीति...

राजनीति...

कोई गांधी जी को पढ़ा करे 
कोई काशी जी पर लड़ा करे 
गौ माता यहाँ विलुप्त हुई
कोई हाथी जी को गढ़ा करे

ना जाने कहाँ विकास हुआ
बच्चा नक्कल कर  पास हुआ 
राशन के दाम गगनचुम्बी
हनुमान पूंछ सम बढ़ा करे

हर शहर का आलम है भाई 
बिन ब्याहे बालम और माई
क्यों संस्कार का क़त्ल हुआ
जहाँ बच्चा बच्चा  पढ़ा करे

यह कैसा  है लेखा जोखा
दारू का सरकारी ठेका
"नुकसानदेह" का लेबल है 
पीने को दुनिया लड़ा करे

मंत्री जी को परवाह नहीं
महंगाई पर्वत लांघ रही 
सब अर्थशास्त्री आसन में
जनता लड़ - भिड़ कर मरा करे

अगले चुनाव कल आयेंगे
वे हाथ जोड़ फिर धायेंगे
"मतदान तुम्हारा परम धरम"
ये बार-बार दोहराएंगे

तुमको फुसलाने की खातिर
ये सर्व-कर्म अपनाएंगे
अच्छे से अच्छे हों चाहे 
हों घोर पतित...कर जायेंगे
 
मत देना अपना "मत" यों ही 
उनको जो है सबके दोही
यदि दान किया तुमने मत तो 
ये दोहन में लग जायेंगे

कोई उद्यान बनायेंगे 
कोई प्रतिमा गढ़वायेंगे 
बिजली से जगमग महल हुए
पर गाँव वहीं रह जायेंगे 

20/12/2009                     ...अजय 


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