Friday 10 June 2011

मेरी पतंग...

मेरी पतंग ...


सैकड़ों पतंगें उडती
देखता हूँ फलक पर मैं 
दुआ है... मेरी पतंग को,
कोई नज़र न लगे 

साजिशों की हवा 
बड़ी गर्म है यहाँ 
सहोदर भाइयों की भी
संग संग मेज़ न लगे 

प्रतिस्पर्धा का दौर
अति कठोर है यहाँ 
जहाँ दम्पति की भी साथ-साथ 
सेज न लगे 

अपने माँझे की मजबूती का 
यकीन  तो है मुझे पर
डर है साजिश की 
धार कोई तेज न लगे 

खिल उठेंगे हम जब
मिलेगी मंजिल मेरी पतंग को 
चाहे मेरी ख़ुशी का
 उसे पता लगे न लगे 

08/07/2009                       ...अजय 

1 comment:

  1. साजिशों की हवा बड़ी गर्म है यहाँ
    सहोदर भाइयों की भी संग संग मेज़ न लगे...

    Ek kaThor satya aaj ke parivesh me...

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