Sunday 26 June 2011

Tanee Laathiyan

तनी लाठियाँ

क्यों तनी हैं लाठियाँ
इक दूजे पर बरसने को ?
क्यों खिचीं तलवारें 
मासूमों को कलम करने को ?
क्यों गरजते हैं तमंचे
अमन का क़त्ल करने को ?

पहुँचा दो इन लाठियों को 
शक्तिविहीन वृद्ध हाथों तक 
बन जाएँ जहाँ जाकर ये 
सहारा किसी के चलने को

सजा दो इन तलवारों को
करीने से दीवारों पर 
न बन पायें सबब अब ये
कोई जीवन मिटाने को 

दफ़न कर दो तमंचों को 
कहीं ऐसी गहराई में
न उठ पायें दुबारा ये 
नफ़रत की आग उगलने को
04/07/2004                            ...अजय 

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